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         प्रश्न और उत्तर
! पहले छंद में कवि की दृष्टि आदमी के किन - किन रूपों का बखान करती है ? क्रम से लिखिए ।
    पहले छंद में कवि की दृष्टि आदमी के निम्न रूपों का बखान करती है . बादशाह, मुफलिस ओ गदा, जरदार, बेनवा, नि अमत खाने वाला अमीर तथा दुक डे चबाने वाला गरीब ।
2. चारों छंदों मे कवि ने आदमी के सकारात्मक और नकारामक रूपों को परस्पर किन - किन रूपों में रखा है ? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए
सकारातमक रूप : -

  1 .  आदमी मसजिद बनाता है ।
   2 . आदमी इमाम और ख खुत्बाळवों बनता है ।
   3 आदमी नमाज और कुरान पढता है ।
    4 . आदमी ही आदमी पर जान न्योच्छावर करता है ।    5. आदमी ही आदमी कीएक पुकार पर दौड़ा चला आता है ।
नकारात्मक रूप :
1 . आदमी मसजिद के बाहर जूतियाँ चुराता है ।
2 . आदमी बुरा होता है ।
3 . आदमी ही आदमी की इज्जत उछालता है । उसका अपमान करता है।
4 . आदमी ही आदमी को तलवार मारता है । उसकी जान लेता है 
5. आदमी ही दूसरे आदमी की सहायता नहीं करता है । 3 आदमीनामा शीर्षक कविता के इन अंशों को पढ़कर आपके मन में मनुष्य के . प्रति क्या धारणा बनती है ?
      / आदमी नामक शीर्षक कविता के इन अंशों को पढकर हमारे मन में मनुष्य के प्रति दो प्रकार की धारणा बनती है - एक अच्छी धारणा दूसरी बुरी धारणा । जोमनुषय सुविधा व साधन संपन्न हैं लेकिन
समय पड़ने पर दूसरों की सहाया नहीं कर सकता, वहनिशचित रूप से अच्छा मनुष्य नहीं है। दूसरी ओर किसी की एक पुकार पर दौड़कर सहायता करने लाना एक अच्छे मनुष्य का ही गुण है । इस प्रकार मनुष्य अपने कार्यों, गुणों तथा क्रिया कलापों से अच्छा बुरा बनता है। मनुष्य चाहे कितना ' भी सफल एवं समथे क्यों न बनजाए, उसमें एक सीमा तक मनुष्यता का हेना अनिवार्य है। अन्यधा वह मनुष्य कहलाने के योय नही रह पाएगा । मानवील मूल्यों की श्रेणी में शामिल होना अर्थपूर्ण नहीं हो सकता है।
4 . इस कविता का कौनसा भाग आपको सबसे अच्छा लगा और क्यों ?
   इस कविता का पहला भाग मुझे अच्छा लगा, क्यों कि इन पंक्तियों में समाज की सच्चाई को प्रस्तुत किया गया है । ऊँच - नीच, अमीर -गरीब में विभाजित यह समाज कई तरह की बुराईयों को जन्म देता है । इस कविता का यह अंश अमीर और गरीब के बची जमीन - आसमान के अंतर को दर्शता है और आदमी होने के नाते सामाजिक समता की माँग करता है ।
5. आदमी की प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए ।
       आदमी नामा कविता से आदमी की निम्नलिखित प्रवृत्तियों का उल्लेख मिलता है -
 आदमी धार्मिक एवं सास्कृतिक पहचान रखता है ।
 आदमी चोर भी होता है।
 आदमी रक्षक भी होता है ।
 आदमी हत्यारा भी होता है।
 आदमी दुराचार भी होता है।
 आदमी सह्दय एवं परोपकारी भी होता है।
 आदमी में संत और शैतान दोनों के गुण होते हैं।

निम्न लिखित अंशों की व्याख्या कीजिए 
 दुनिया में बाद शाह है सो वह भी आदमी
 ओर मुफलिस - ओ - गदा सो है वो भी आदमी
        संसार में हर तरह के आदमी है। यदि कोई राजा या बादशाह है तो वह भी आदमी हीहै     है, तो भी वह भी आदमी ही है और यदि कोई गरीब, दीन दरिद्र है, तो वह भी आदमी है।
  बादशाह और गरीब दोनों आदमी ही है। एक केपास ताकत तो वह बादशाह है और जो गरीब है, वह निर्बल है।

2 . अशरफ और कमीने से ले शाह ता वो भी आदमी
      ये आदमी ही करते हैं सब कारे दिल पजीर
              ऊँचे तबके से लेकर नीचे तक, राजा से लेकर मंत्री तक का अच्छे से लेकर बुरे तक सभी आदमी है । आदमी ही होते है, जो अपने कामों से लोगो के दिलों को लुभा लेते है ।

3 पढ़त \ है आदमी ही कुरआन और नमाज़ या
    और आदमी ही उनकी चुराते है जूतियाँ
      जो उनको ताड़ता है सो वो भी आदमी
           कवि कहता है एक आदमी तो कुरान और नमाज पडने जैसा पवित काम करता है, और वही एक आदमी जूतियाँ चुराने जैसा निम्न स्तरीय काम भी करता है और उनके देखने या पकड़ने का काम भी आदमी ही करता है । कवि ने आदमी के इस दोहरे चरित्र पर व्यंग्य किया है ।

            मुहावरे
   
  1. टुकड़े चबाना : - जंगल में मयंक को दो दिन टुकडे चबाकर ही रहना पड़ा ।
  2 . पगड़ी उतारना : - गाँव में वर्षों से सम्मानित बुजुर्ग रामदीन की शहर के कुछ लोगों न पगड़ी उछाल दी ।
    3 . मुरीद होना : - मैं गीत कार गुलजार साहब की मुरीदहूँ
    4. जान बारना : - हमारी भारतीय सिपहि देशकेलिए जान बारने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं  5. तेग मारना : - राकेश ने अपने भाई को तेग मारकर घायल करदिया





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अनुच्छेद   3

Srutisambhinnarth-1

अनुच्छेद -2

अनुच्छेद लेखन -1





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स्मृति 






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